मुआवजा पाने के लिए अब आधार जरूरी


आपदा के दौरान राहत सामग्री या नुकसान का मुआवजा पाने के लिए अब आधार जरूरी होगा। हालांकि आधार न होने की वजह से किसी को लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार के 'आधार अधिनियम -2016' के आधार पर कार्यवाही होगी। अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।


प्रदेश सरकार राहत सामग्री व मुआवजे के वितरण में पारदर्शिता लाने व पात्र व्यक्ति को लाभ पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए पब्लिक फाइनेंस मैनजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) लागू करना चाहती है। इसके लिए लाभार्थियों का आधार नंबर आवश्यक है। सरकार ने इसके लिए 'आधार (वितीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्क्षियत परिदान) अधिनियम- 2016' की धारा-7 के अनुसार प्रदेश में कार्यवाही के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। 
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है लाभार्थी के पास यदि आधार नंबर नहीं है तो विभाग उसका आधार बनवाने की कार्यवाही करेगा। कोई पात्र लाभार्थी लाभ से वंचित न हो इसके लिए आधार बनकर आने तक पहचान के वैकल्पिक माध्यमों को स्वीकार किया जाएगा। बालक-बालिकाओं के लिए आधार नामांकन पर्ची के साथ सात तरह के व अन्य पुरुष व महिलाओं के लिए आधार नामांकन पर्ची सहित 10 तरह के वैकल्पिक अभिलेख/प्रमाणपत्र स्वीकार किए जाएंगे। बच्चों के लिए व अन्य पुरुष-महिलाओं के लिए आधार संबंधी कार्यवाही के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी गई है।
इस तरह के लाभ में आधार होगा जरूरी
- फसल नुकसान पर कृषि निवेश अनुदान
- जनहानि व पशुहानि पर परिवार को मुआवजा
- मकान क्षतिग्रस्त होने या ध्वस्त होने पर मुआवजा
- आपदा के दौरान राशन किट आदि के लिए