देसी शराब कंपनियों के नाम से नकली और मिलावटी ब्रांड बनाकर बेचने वाले गिरोह के 2 शातिर गिरफ्तार

चिनहट पुलिस ने देसी शराब कंपनियों के नाम से नकली और मिलावटी ब्रांड बनाकर बेचने वाले गिरोह के विकास दुबे उर्फ अजय और आशुतोष पांडेय उर्फ सोनू को गिरफ्तार किया है। डीसीपी पूर्वी चारू निगम ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों की निशानदेही पर देसी शराब कंपनी पॉवर हाउस, विंडीज, फाइटर और दीवाना जैसे ब्रांड के लोगो और बारकोड के अलावा नकली व मिलावटी शराब और शराब बनाने के उपकरण बरामद हुए हैं। बरामद शराब की कीमत करीब 25 लाख रुपये है।


डीसीपी ने बताया कि सोमवार को टेराखास क्रॉसिंग के पास चेकिंग के दौरान पुलिस टीम ने विकास और आशुतोष को पकड़ा था। विकास मूलरूप से प्रतापगढ़ के अंतू कल्याणपुर मौरहा का है और यहां मड़ियांव के नौबस्ता खुर्द गायत्रीनगर में रहता है जबकि प्रतापगढ़ के ही कौहडौर परशुरामपुर का आशुतोष यहां अलीगंज के सेक्टर-सी में रह रहा था। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने जानकीपुरम विस्तार में मिर्जापुर नई बस्ती नहरिया रोड से नकली और मिलावटी शराब तथा शराब बनाने के उपकरण बरामद किए हैं।
दोनों ने बताया कि वह अपने सहयोगी आदित्य कुमार, विपिन बिहारी शुक्ला, परमेंद्र सरदार और राहुल तिवारी के साथ शराब बनाते थे। उनके दो साथी सौरभ मिश्रा व अनुज जायसवाल को चिनहट पुलिस ने कुछ दिन पहले मिलावटी शराब के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था। एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि बदमाशों के पास से देशी शराब की 35 पेटी मिली हैं जिसमें कुल 1575 बोतल व 1255 लीटर तैयार शराब मिली है। प्लास्टिक के चार केन में 140 लीटर मिलावटी अल्कोहल भी मिला है। बरामद माल की कीमत करीब 25 लाख रुपये है।
अल्कोहल में मिलाते थे यूरिया व घातक रसायन
एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि बदमाश, नशे की तीक्ष्णता बढ़ाने के लिए अल्कोहल में यूरिया और घातक रसायन मिलाते थे। शराब को असली ब्रांड जैसा रंग और स्वाद देने के लिए फ्लेवर और रंग भी मिलाया जाता था। इसके बाद अल्कोहल मीटर से शराब में नशे की तीक्ष्णता को मापकर उसे खाली बोतलों में भर दिया जाता था। बोतलों में फर्जी तरीके से बनाए गए लोगो और बारकोड लगा होता था जिससे वह असली जैसी दिखती थीं। ढक्कन की सील लगाने के लिए बदमाशों ने एक मशीन भी ले रखी थी।
सरकारी ठेकों और खुदरा दुकानों पर करते थे सप्लाई
नकली और मिलावटी शराब की सप्लाई लखनऊ व आसपास के जनपदों के सरकारी ठेकों तथा खुदरा दुकानों पर की जाती थी। इसके लिए बदमाशों ने एजेंट बना रखे थे जो असली की जगह नकली ब्रांड की सप्लाई कराते थे। बदमाश जगह बदलकर शराब बनाते थे जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो रहा था।