शापूरजी पलोनजी समूह (एसपी समूह) और टाटा समूह की 70 साल पुरानी दोस्ती खत्म होने खतरा


भारत के सबसे पुराने औद्योगिक घराने शापूरजी पलोनजी समूह (एसपी समूह) और टाटा समूह की 70 साल पुरानी दोस्ती खत्म होती नजर आ रही है। एसपी समूह ने हाल ही में टाटा समूह से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। 


मालूम हो कि एसपी की कंपनियों पर 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसको चुकाने के लिए कंपनी टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। शापूरजी पलोनजी समूह कोरोना वायरस महामारी को लेकर पेश समाधान योजना के तहत 10,900 करोड़ रुपये के अपने ऋण का पुनर्गठन करेगा। इस संदर्भ में एक अधिकारी ने कहा कि केवी कामथ पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित एकमुश्त ऋण पुनर्गठन योजना के तहत राहत मांगी जा रही है। 
इस सुविधा में वित्तीय रूप से तनावग्रस्त कंपनियों को दो साल के लिए अपने ऋण को टालने की अनुमति है। अधिकारी ने कहा कि, '150 साल पुरानी शापूरजी पलोनजी ग्रुप की होल्डिंग कंपनी शापूरजी पलोनजी कंस्ट्रक्शन रिजर्व बैंक के द्वारा अनुमोदित कोविड-19 समाधान ढांचे के तहत एकमुश्त ऋण पुनर्गठन के माध्यम से 10,900 करोड़ रुपये के अपने ऋण का पुनर्गठन करना चाहती है।' 
यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब टाटा ने पांच सितंबर को उच्चतम न्यायालय पहुंचकर एसपी समूह की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी के एक हिस्से के बदले में कर्ज जुटाने की पहल को रोकने की याचिका दायर की।
ग्रुप की 70 देशों में 18 कंपनियां
शापूरजी पलोनजी ग्रुप की दुनियाभर में 18 कंपनियां हैं। यह कुल छह क्षेत्रों इंजीनियर सेगमेंट और कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल एस्टेट, वाटर, एनर्जी और फाइनेंशियल सर्विसेज में काम करती है। ग्रुप की 70 देशों में 70,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। 


बनाई थी RBI की बिल्डिंग
पालोनजी के पास आयरिश नागरिकता है, लेकिन वह अपना ज्यादातर समय भारत में गुजारते हैं। साइरस भी आयरिश नागरिक हैं। इस कंपनी ने ही आरबीआई की बिल्डिंग, टाटा समूह की इमारतें, ताज महल टावर, बैंक ऑफ इंडिया और अन्य कई बिल्डिंग्ल बनाईं। 


1865 में हुई थी कंपनी की शुरुआत
एसपीजी की नींव साल 1865 में पालोनजी मिस्त्री ने रखी थी। तब लिटिलवुड पालोनजी एंड कंपनी बनी थी, लेकिन बाद में पालोनजी ने साइरस के दादा को काम की जिम्मेदारी दी थी। फिर शापूरजी ने पार्टनरशिप तोड़कर शापूरजी पालोनजी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई थी। 
मिस्त्री को देने पड़ सकते हैं 1.40 लाख करोड़
टाटा समूह को टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी को खरीदने के लिए लगभग 1.40 लाख करोड़ रुपये चुकाने पड़ सकते हैं। जून 2020 की कॉरपोरेट फाइलिंग के अनुसार टाटा संस की कुल नेटवर्थ 7,80,778.2 करोड़ रुपये है। यह नेटवर्थ कंपनी के पास मौजूदा शेयर होल्डिंग से आती है। मिस्त्री परिवार के 18 फीसदी शेयरों की कीमत 1.40 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। हालांकि, अंतिम रकम कई अन्य मूल्यांकनों के बाद तय होगी। 


2016 में शुरू हुआ था विवाद
2016 में यह विवाद शुरू हुआ था, जब पलोनजी मिस्त्री के बेटे सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। तभी से दोनों समूहों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने National Company Law Appellate Tribunal (राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण) के सायरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद बहाल करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। 


टाटा संस के मुताबिक कि सायरस के कार्यकाल के दौरान ऐसे कार्य बार-बार हुए जो टाटा समूह के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं थे। इस वजह से सायरस मित्री बोर्ड का विश्वास खो चुके थे। टाटा समूह का नेतृत्व करने के लिए उनकी क्षमताओं पर भरोसा खत्म हो चुका था। 


मिस्त्री का पक्ष
टाटा समूह के आरोपों पर सायरस मिस्त्री का कहना था कि टाटा संस किसी एक व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं है और ना ही ट्रस्ट के ट्रस्टियों का है। मिस्त्री का आरोप है कि समूह में सभी अधिकार हाई कमांड के पास थे जो कि गलत हैं। उनका कहना है कि टाटा ट्रस्ट के गवर्नेंस को और ज्यादा जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह समूह के गवर्नेंस को सुधारने के लिए हस्तक्षेप करे।