अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में राष्ट्रपति को न बुलाए जाने को लेकर सवाल उठाने पर दिल्ली में एफआईआर कराने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने भाजपा पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि दलितों के अपमान का मुद्दा उठाने पर सरकार व भाजपा चोर दरवाजे से दिल्ली में एफआईआर क्यों कराती है। हिम्मत है तो भाजपा उनके खिलाफ लखनऊ में एफआईआर कराके जेल भेजे, लेकिन भूमि पूजन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने की वजह आम जनता को जरूर बताए।
उन्होंने कहा कि सिर्फ वोट के लालच में भाजपा एक दलित को राष्ट्रपति बना सकती है, लेकिन राम मंदिर के भूमि पूजन में राष्ट्रपति को शामिल नहीं कर सकती है। उन्होंने सवाल किया कि अगर मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं, तो राज्यपाल के साथ राष्ट्रपति क्यों नहीं शामिल हो सकते? क्या इसलिए कि वो दलित हैं?
आप सांसद ने रविवार को राजधानी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, मुख्यमंत्री चाहें तो मेरे खिलाफ हजारों मुकदमे करवा सकते हैं, लेकिन मैं उनसे डरने वाला नहीं हूं। दिल्ली में मुकदमा दर्ज कराने से स्पष्ट है कि सरकार व भाजपा के पास लखनऊ में मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की हिम्मत नहीं है। लखनऊ में मुकदमा दर्ज होने से उनके दलित विरोधी कृत्यों से पर्दा उठने का डर भी उन्हें सता रहा है।
उन्होंने कहा कि मैं दलितों के खिलाफ चल रही साजिश को बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि दलितों को भी मंदिरों में प्रवेश का हक है। मैं घर-घर जाकर दलितों को मंदिर जाने के अधिकार के लिए एकजुट करूंगा और भाजपा की छलने वाली नीतियों को जन-जन तक लेकर जाऊंगा।
दलित राष्ट्रपति बनाना भाजपा की राजनीति का हिस्सा
संजय सिंह ने कहा कि भाजपा में दलितों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखा जाता है। जब राष्ट्रपति का चुनाव हुआ, तो ढिंढोरा पीट-पीट कर बताया गया कि हमने एक दलित को राष्ट्रपति पद पर बिठाया है। लेकिन जब भूमि पूजन की बात हुई, तो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को बुलाया गया, लेकिन दलित होने के नाते राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया। इससे स्पष्ट है कि दलित राष्ट्रपति बनाना इनकी राजनीति का हिस्सा मात्र है, भाजपा को दलितों से कोई लगाव नहीं हैं। उन्होंने दलितों के घर प्रसाद भिजवाने को भी नौटंकी बताया।
भाजपा में उच्च पदों पर जाति के आधार पर होता है चयन
संजय सिंह ने कहा कि भाजपा हमेशा से ही दलित विरोधी रही है। उनके संगठन में दलितों को स्थान नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि भाजपा में उच्च पदों पर काबिलियत नहीं, जाति के आधार पर चयन किया जाता है। भाजपा में कोई भी दलित नेता आगे नहीं बढ़ पाया है, जिसके चलते पहले ही दलितों ने भाजपा से किनारा कर लिया था।
भाजपा ने वोट जुटाने के लिए एक दलित व्यक्ति को राष्ट्रपति तो बनाया, लेकिन भूमि पूजन के अवसर पर सभी उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को स्थान दिया मगर देश के प्रथम नागरिक और सर्वोच्च पद पर आसीन दलित राष्ट्रपति को स्थान नहीं दिया गया। यह देश के सभी दलितों के लिए संदेश है कि भाजपा दलितों की हितैषी ना पहले कभी थी, न कभी हो सकती है। भाजपा सिर्फ दलितों को वोट बैंक समझकर चुनाव के समय उसका लाभ लेती है।