भोपाल में दो दिन तक चार अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद 8 महीने की गर्भवती महिला ने तोड़ा दम


मध्यप्रदेश की राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने एक बार फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। कोरोना के इस दौर में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है जिसका उदाहरण शनिवार को देखने को मिला।


दर्द से परेशान आठ महीने की गर्भवती महिला को चार अस्पतालों द्वारा दो दिनों तक चक्कर लगवाए गए और समय पर भर्ती नहीं होने की वजह से उसने थक हारकर दम तोड़ दिया। खबर के मुताबिक सीने में दर्द की शिकायत के बाद अंबरीन के पति एजाज उन्हें सुल्तानिया जनाना अस्पताल ले गए जहां उन्हें गेट पर चार घंटों तक इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद गार्ड ने उन्हें अंदर जाने दिया। हालांकि थोड़े समय तक जांच के बाद डॉक्टर ने एजाज से उनकी पत्नी को हमीदिया सरकारी अस्पताल ले जाने को कहा।


चार अस्पतालों में नहीं मिली भर्ती 
दरअसल 23 वर्षीय अंबरीन को 26 मई की सुबह तेज दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने लगी, इसके बाद एजाज ने ऐशबाग के नजदीकी मानसी प्राइवेट अस्पताल से संपर्क किया जहां उन्हें शाम के सात बजे आने को कहा गया। इस दौरान अम्ब्रीन ने काफी दर्द बर्दाश्त किया। इसके बाद शाम को वो अस्पताल पहुंचीं जहां डॉक्टर ने उनकी ईसीजी जांच की और दर्द की दवा देकर जाने दिया।


लेकिन दर्द कम ना होता देख उसी दिन एजाज उन्हें जेपी अस्पताल ले गए लेकिन वहां उन्हें कोविड-19 के लक्षण का हवाला देकर दूसरे अस्पताल जाने को कहा गया और इंदिरा गांधी महिला एवं बाल अस्पताल में भर्ती करवाने की सलाह दी गई। इसके बाद एजाज इंदिरा गांधी अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां डॉक्टर के ना होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया गया।


कई जगह चक्कर लगाने के बाद वे 27 की सुबह 12 बजे सुल्तानिया अस्पताल पहुंचे जहां सुबह चार बजे उन्हें भर्ती किया गया लेकिन थोड़ी देर की जांच के बाद डॉक्टर ने उन्हें हमीदिया अस्पताल जाने को कह दिया। इसके बाद उसी दिन सुबह करीब नौ बजे वे एम्बुलेंस हमीदिया अस्पताल पहुंचे।


हमीदिया में होता रहा आंखमिचौली का खेल


हमीदिया अस्पताल में अंबरीन को भर्ती किया गया और आईसीयू वॉर्ड में शिफ्ट किया गया और कई तरह के जांच किए गए। एक्सरे रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने उनके सीने में पानी भरे होने की बात कही और फिर दोपहर एक बजे परिवार से उन्हें वेंटीलेटर पर रखने की अनुमति मांगी। लेकिन तीन घंटे के बाद अस्पताल ने उन्हें कोविड-19 वॉर्ड में भेज दिया। 


कुछ घंटों के बाद नर्स ने परिवार को बताया कि बच्चे ने गर्भ में दम तोड़ दिया है, इसके बाद ऑपरेशन कर बच्चे का शव परिवार को दिया गया। वहीं परिवार द्वारा चिंतित होने और अंबरीन को देखने की मांग के बाद अगले दिन 28 मई को अस्पताल ने अंबरीन को मृत घोषित कर दिया।
 
दो दिन तक परेशान होने और अपनी पत्नी और बच्चे को गंवाने के बाद एजाज ने कहा, 'जब हम चार अस्पतालों से इनकार का सामना करने के बाद हमीदिया पहुंचे, तो वह इतनी गंभीर नहीं थी, दोनों की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन अस्पताल की लापरवाही के कारण मैंने अपनी पत्नी और बच्चे को खो दिया।


इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है लेकिन किसी भी तरह की शिकायत आने पर वो इसकी जांच करवाएंगे।