लखनऊ में सीएए के विरोध के दौरान हुई हिंसक झड़प के बाद पुलिस और प्रशासन द्वारा आरोपियों की फोटो और पोस्टर सड़क किनारे लगाई गई थी
प्रयागराज । लखनऊ में सीएए के विरोध के दौरान हुई हिंसक झड़प के बाद पुलिस और प्रशासन द्वारा आरोपियों की फोटो और पोस्टर सड़क किनारे लगाने की घटना को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेकर लखनऊ के डीएम व डिविजनल पुलिस कमिश्नर से पूछा है कि वह आज सुबह 10 बजे हाईकोर्ट को बताएं कि कानून के किस प्रावधान के तहत लखनऊ में इस प्रकार का पोस्टर सड़क पर लगाया जा रहा है। आज रविवार होने के कारण हाईकोर्ट में अवकाश है, इसके बावजूद इस मामले पर अदालत सुनवाई करेगी। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि पोस्टरों में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत ये पोस्टर लगाए गए हैं। हाईकोर्ट का मानना है कि सार्वजनिक स्थान पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन है।
आपको बता दें कि पांच मार्च को सीएए व एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में सरकारी व निजी संपत्तियों की भरपाई के लिए प्रशासन ने चिह्नित 53 उपद्रवियों से वसूली का अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रशासन ने क्षेत्रवार डुग्गी पिटवाना शुरू कर दिया है। राजधानी के प्रमुख चौराहों पर उपद्रवियों की तस्वीर वाली होर्डिंग भी लगवाई गई है। इसकी शुरूआत बृहस्पतिवार (पांच मार्च) से हो गई। हजरतगंज सहित कई प्रमुख चौराहों पर इन चिह्नित उपद्रवियों की तस्वीर वाली होर्डिंग लगा दी गई है। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के मुताबिक, राजस्व कोर्ट स्तर से नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। इस हिंसक प्रदर्शन में 1.61 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है। आरोपियों से नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन ने सख्ती करनी शुरू कर दी है। वहीं, ठाकुरगंज पुलिस ने सीएए व एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन में फरार मो. साहिल उर्फ मो. सादिक खान को गिरफ्तार किया है।