नई दिल्ली। सरकार ने फैसला लिया है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है या फिर उसके खिलाफ मुकदमे को मंजूरी दे दी गयी है, वह पासपोर्ट नहीं हासिल कर पायेगा। कार्मिक मंत्रालय ने केंद्रीय सर्तकता आयोग और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस संबंध में लागू मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा करने के बाद इस आशय का आदेश जारी किया है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से सभी सरकारी विभागों के सचिवों को भेजे गये आदेश में कहा गया है कि ऐसे सरकारी बाबुओं को पासपोर्ट की मंजूरी के लिए सर्तकता अनापत्ति की जांच करना जरूरी है।
आदेश के अनुसार यह तय किया गया है कि यदि अधिकारी निलंबित है या फिर किसी आपराधिक मामले में उसके खिलाफ जांच एजेंसी ने अदालत में आरोपपत्र दायर कर दिया है, ऐसी स्थिति में सतर्कता अनापत्ति रोकी जा सकती है। आदेश के मुताबिक सरकारी बाबुओं की पासपोर्ट प्राप्त करने के वास्ते सतर्कता अनापत्ति तब भी रोकी जा सकती है यदि सक्षम प्राधिकार ने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम या किसी अन्य आपराधिक मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी हो या अदालत ने मामले का संज्ञान ले लिया हो।
सभी विभागों से यह पता करने को कहा गया है कि क्या उनके यहां काम कर रहे सरकारी बाबुओं को भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के मामले में पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6 (2) का प्रावधान
*ANS NEWS-कमलनाथ के मंत्री बोले- सिंधिया की उपेक्षा हुई तो शुरु होगा सरकार का असली संकट*
भोपाल,06 मार्च (एएनएस)। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को कथित रूप गिराने के प्रयासों के तहत विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक व प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री ने कहा कि ‘अगर उनका अनादर या उपेक्षा हुई तो, प्रदेश सरकार का असली संकट शुरु होगा।’ प्रदेश के श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब प्रदेश की राज्यसभा सीट पर चुनाव से ऐन पहले मध्यप्रदेश में कमजोर बहुमत पर टिकी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को कथित रूप से गिराने के लिए भाजपा द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लग रहा है। एक ओर कांग्रेस जहां भाजपा नेताओं का ना लेकर आरोप लगा रही है कि वे प्रदेश सरकार को गिराना चाहते हैं, वहीं भाजपा इन आरोपों का सिरे से खंडन करते हुए इसे सत्तारूढ़ दल का अंदरुनी कलह बता रही
प्रांतीय राजधानी भोपाल से 180 किलोमीटर दूर गुना में जारी एक वीडियो बयान में सिसोदिया ने कहा, ‘‘दबाव की यह राजनीति भारतीय जनता पार्टी कर रही है। किन्तु हां, मैं एक बात जरुर कहूंगा कि कमलनाथ जी सरकार को संकट सिर्फ उस दिन उत्पन्न होगा जिस दिन मध्य प्रदेश सरकार हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का अनादर या उनकी उपेक्षा करेगी। उस दिन निश्चित रुप से मध्यप्रदेश की सरकार पर जो बादल छायेगा वो काला बादल पता नहीं क्या करके जाएगा ये मैं आज आपसे नहीं कह सकता।’’ गौरतलब है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ, दिग्विजय और सिंधिया के तीन गुट अहम हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सिंधिया, गुना लोकसभा की अपनी परम्परागत सीट से और दिग्विजय सिंह भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद से ही सिंधिया समर्थक मुख्यमंत्री कमलनाथ जो कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं,के स्थान पर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए मार्च में होने वाले चुनाव के मद्देनजर सिंधिया समर्थक अब सिंधिया को राज्यसभा में भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। इस साल अप्रैल में रिक्त होने वाली प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव मार्च 26 को होना है।
फिलहाल इन तीन सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, तथा भाजपा से सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा सांसद हैं। मध्यप्रदेश में यह राजनीतिक उठापटक मंगलवार देर रात तब शुरु हुई जब कांग्रेस ने दावा किया कि विपक्षी दल भाजपा ने प्रदेश सरकार को गिराने के लिए आठ विधायकों को हरियाणा के एक होटल में रखा है। मंगलवार देर रात को ही प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री दिल्ली पहुंचे और बुधवार दोपहर छह विधायकों को बचाकर विशेष विमान से वापस भोपाल लाने का दावा किया गया। कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय विधायक अब भी शहर में नहीं हैं और उनके बेंगलुरु में होने की सूचना है। हालांकि भाजपा ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए कांग्रेस विधायकों का सरकार के प्रति असंतोष और कांग्रेस के विभिन्न गुटों की अंतर कलह को जिम्मेदार बताया और कहा कि भाजपा का इससे कोई लेना देना नहीं है।