दूसरे राज्य से रोजी रोटी के चक्कर में आए हुए 100 मजदूर लॉक डाउन कि वजह से प्रयागराज के कालिंदीपुरम में रुके है

बाहर से कमाने आए 100 मजदूर भूखे ब्यकुल हो रहे थे जिसमे उनकी मदद के लिए दिवाकर  समाज ने खाने पीने कि व्यवस्था कि।


यह मजदूर मध्य प्रदेश,सोनभद्र, विलाशपुर,रीवा,बेमेतरा  छत्तीसगढ़ ,के रहने वाले है।


29 मार्च, 2020 को कालिंदीपुरम, केन्द्रीय विद्यालय झलवा के आगे पॉवर हाउस के पास और पीपलगांव में आपदा राहत सामग्री वितरित की गई। इन स्थानों पर सैकड़ों की संख्या में कौशाम्बी व सोनभद्र (उत्तर प्रदेश), रीवां (मध्यप्रदेश), बिलासपुर और बेमेतरा (छत्तीसगढ़) के मजदूर रह रहे हैं। उनके पास जो पैसे थे खत्म हो गए।
 ये सभी मजदूर होली के बाद अपने-अपने गांवों से यहां काम करने के लिए आए थे जो कि सघनबन्दी (लॉकडाउन) के कारण फंस गए। उन्होंने बताया कि पहले एक दिन फिर उसके खत्म होने से पहले ही 3 दिन फिर उसके खत्म होने से पहले 21 दिन के लिए बढ़ा दी गई जिसके कारण हमें जाने का मौका ही नहीं मिला। यदि हमें भूखे रहना पडा।


इनमें से अधिकांश प्लास्टिक की झोपड़ियों में रह रहे हैं। इन झोपड़ियों की ऊंचाई इतनी है कि सीधे तनकर बैठ भी नहीं सकते। बड़ा दुःख हुआ यह जानकर कि वहीं पर दो महिलाओं को बच्चे भी पैदा हुए, बच्चों के लिए मच्छरदानी और कुछ पुराने कपड़ों का भी इंतजाम किया गया। अन्य लोग भी अपनी तरफ से नाश्ता व खाना का पैकेट दे रहे हैं। जो सड़क पर हैं उन्हें आसानी से मदद पहुंच जाती है लेकिन जो सड़क से हटकर रह रहे हैं उन तक मदद नहीं पहुँच पाती। कुछ ऐसे भी दिहाड़ी मजदूर हैं जो स्वतंत्र रूप से मजदूरी करते हैं लेकिन कुछ ठेकेदार के अंडर में काम करते हैं। ठेकेदार भी लॉक डाउन के चलते नहीं इन तक कोई मदद नहीं पहुंचाते, 
ऐसे में कभी-कभी इन्हें भूंखे भी सोना पड़ता है। जो कुछ पैसे थे बच्चों या परिवार के सर्दी-ज़ुकाम व बुखार दवा में खर्च हो गए। आवागमन के साधन बंद होने के कारण निजी नर्सिंग होम या प्राइवेट क्लीनिकों में ही दवा लेने को मजबूर हैं
 जिससे इनके पास जो थोड़े पैसे थे वो भी खत्म हो गए। प्रशासन की तरफ से अभी इनको कोई मदद मुहैय्या नहीं हो सकी है। स्थानीय लोगों के मदद के भरोसे ही यह लोग पड़े रहने को मजबूर हैं। यह भी बताया कि हमारे कुछ साथी पैदल ही रीवां के लिए 2 दिन पहले निकले हैं लेकिन अभी तक घर नहीं पहुंचे हैं। 
ये सब भी गांव जाना चाहते हैं जिससे वहां कुछ तो खा सकेंगे, कम से कम भूख से तो नहीं मरेंगे।
आपदा राहत सामग्री में आटा, चावल और आचार दिया गया। राम जी ने बताया कि प्रशासन द्वारा जो नंबर जारी किया गया है, उस पर फोन करने पर दो हेल्पलाइन नम्बर दिया गया जिन पर लेकिन कोई भी मदद को नहीं आया
राहत सामग्री प्रदान करने में श्री चन्द्राराम दिवाकर, राजेन्द्र दिवाकर, मनीषा दिवाकर,  नरेन्द्र दिवाकर, ममता नरेन्द्र दिवाकर, राजेश दिवाकर, नम्रता दिवाकर, उमेश दिवाकर, सुनीता दिवाकर, मोनू दिवाकर, तेजस दिवाकर और श्रेयस दिवाकर ने सहयोग किया गया है ।