महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति सम्मान का भाव उत्पन्न करने हेतु जन जागरूकता आवश्यक।
जनपद में प्रत्येक बुधवार को विद्यालयों में आयोजित की जायेगी महिला सम्मान कक्षा।
कौशाम्बी। समाज में महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति सम्मान का भाव लोगों में जागृत करने हेतु बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार देना आवश्यक होता है।
बच्चों से छोटी-छोटी बातों पर चर्चा करें तथा उनके अन्दर अच्छी सोंच पैदा करें लड़कें एवं लड़कियों में किसी भी प्रकार का भेदभाव न होने दें। उक्त विचार बुधवार को अम्बावा प्राथमिक विद्यालय में महिला सम्मान कक्षा शुभारम्भ कार्यक्रम के अवसर पर जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के द्वारा कही गयीं।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में प्रत्येक बुधवार को 11ः00 बजे पूर्वान्ह से 11ः30 बजे तक प्रत्येक विद्यालयों में महिला सम्मान कक्षा का आयोजन किया जायेगा। जिसमें अध्यापक अध्यापिकाओं एवं बच्चे आपस में महिला सम्मान विषय पर चर्चा करेंगे उसमें बच्चों को महिलाओं का सम्मान करने की आदत डालने लड़कियां खुद कैसे अपना बचाव करें लड़कों को लड़कियों का किसी भी तरह से अपमान न करने तथा उनका सम्मान बढ़ाने एवं बच्चों के अन्दर अच्छे संस्कार उत्पन्न करने के सम्बन्ध में परिचर्चा की जायेगी। इस संकल्पना की प्रेरणाश्रोत रहीं
श्रीमती अंकिता राज अध्यक्ष आकांक्षा समिति ने कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि माता-पिता एवं शिक्षक बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार दें तथा उनसे कोई भी बात न छुपायें क्योंकि बच्चे सब कुछ समझते हैं उनकी हर बात का उत्तर दें जिससे कि उनके मन के अन्दर कोई भी प्रश्न अनुत्तरित न रहे। उन्होने कहा कि समाज में महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति अपराध को रोकने में बच्चों को संस्कारित करना एवं उनको अच्छी शिक्षा देना बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।
उन्होने कहा कि इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। बच्चे कच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते हैं उनके चरित्र निर्माण में माता.पिता एवं शिक्षकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
उन्होने कहा कि अच्छे संस्कार से सुरक्षित समाज का निर्माण होता है और उस संस्कारिक समाज में हमारी बेटियां सुरक्षित रहेंगी। उन्हाने कहा कि कोई भी बच्चा बचपन से ही अपराधी नहीं होता है यदि हम उसको अच्छे संस्कार दें और उसके मन में लैंगिक समानता लाने का भाव उत्पन्न करें तो कभी भी उसके अन्दर महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति असम्मान का भाव नहीं उत्पन्न हो सकता। अपने सम्बोधन में उन्होने कहा कि शिक्षक यह महसूस करें कि उनकी भी बेटियां है समाज के लोगों को बेहतर बनाने में वे अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें।
कहा कि बच्चे क्या महसूस करते हैं उसे अनदेखा न करें या उनकी बात को न टालें सदैव उनके विचार एवं भाव को समझ कर उनकी प्रत्येक जिज्ञासा का समाधान करें। उन्होने कहा कि बच्चों के अन्दर एक उम्र के बाद होने वाले शारीरिक बदलाव के बारे में भी उनको अच्छी तरह से खुलकर बतायें।
जिलाधिकारी ने कहा कि माता.पिता को चाहिए कि बच्चे अगर गलती करें तो उन्हें सजा देने के बजाय उनको समझायें कि यह गलत है इसको न करें।
उन्होने बच्चों के लिए भी कुछ आवश्यक बातें बताते हुए कहा कि बच्चे अपनी कोई भी बात कहने में संकोच न करें अपने घर में सभी भाई बहन दोस्त बनकर रहें एवं मददगार बनें बोलते समय शुक्रिया कृपया या कोई गलत बात निकलने पर माफ कर दो ऐसे शब्दों को बोलें। उन्होने कहा कि लड़के बहन के साथ कपड़ा धोये रसोई में मॉ की सहायता करें झाडू पोंछा लगाने में भी मॉ की मदद करें। कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी इन्द्रसेन सिंह जिला बेसिक शिक्षाधिकारी स्वराज भूषण त्रिपाठी एवं अध्यापिकाओं सहित अन्य लोगों ने भी महिला सम्मान विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर गांव की महिलाओं एवं अधिकारीगणों के अलावा काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।