कौशाम्बी। जिले में शिक्षा विभाग का खेल भी न्यारा है और बोर्ड परीक्षा में फर्जी कक्ष निरीक्षको केन्द्र व्यवस्थापको को लगाये जाने का मामला अभी ठंडा भी नही हुआ कि एक इण्टर कालेज को फर्जी तरीके से जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय ने मान्यता दे दी है।
इस विद्यालय में ठीक से पढाई भी नही होती है फिर भी इसी विद्यालय पर बेसिक शिक्षा विभाग ने एडेड घोशित करते हुए अध्यापको का वेतन देना शुरू कर दिया जबकि इस विद्यालय के पास जो भवन जूनियर हाईस्कूल के लिए बनाये गये थे उसी भवन में इण्टर कालेज की मान्यता लेकर जूनियर हाईस्कूल बन्द कर दिया गया है। कई वर्षो पूर्व जूनियर हाईस्कूल बन्द किये जाने के बाद भी बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा अध्यापको को वेतन दिया जा रहा है। जो प्रदेश सरकार की व्यवस्था पर बडा सवाल है और बन्द स्कूल में प्रत्येक महीने दिये जा रहे वेतन से बेसिक शिक्षा कार्यालय की भ्रष्ट व्यवस्था की कलई भी खुल रही है कई वर्षो से बन्द विद्यालय पर अध्यापको को वेतन मिलने के मामले में अभी तक खण्ड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शासन को रिर्पोट भेजकर वेतन बन्द कराये जाने की सिफारिष नही की है। फर्जी तरीके से शिक्षको को वेतन दिये जाने के मामले में यदि सूबे की योगी सरकार ने जॉच करायी तो खण्ड शिक्षा अधिकारी के साथ साथ पूर्व के कई बेसिक शिक्षा अधिकारियो पर कार्यवाही होना तय है लेकिन क्या योगी सरकार में निष्पक्ष जॉच हो पायेगी यह बडा सवाल है।
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक चायल तहसील क्षेत्र के नेवादा विकास खण्ड अन्तर्गत फरीदपुर औधन में जनता जूनियर हाईस्कूल स्थापित कर विद्यालय को वित्त पोशित कराने के लिए शासन को पत्रावली भेजी गयी। इस विद्यालय के पास आज भी पक्के भवन नही है खपरैला नुमा कच्चे भवन पर इस विद्यालय को वित्त पोशित करते हुए सरकार ने शिक्षको को वेतन देना शुरू कर दिया जैसे ही सरकार से षिक्षको का वेतन मिलना शुरू हुआ प्रबन्धतंत्र ने इस विद्यालय को बन्द करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में माध्यामिक शिक्षा परिषद की मान्यता लेने के लिए फाइल भेज दी जब जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय ने जनता जूनियर हाईस्कूल के भवन पर मान्यता देने से इंकार किया तो प्रबन्ध तंत्र ने जूनियर हाईस्कूल को बन्द करने का प्रमाण पत्र लगा दिया लेकिन शिक्षको का वेतन अभी भी नही बन्द हो सका। इसी प्रमाण पत्र को आधार मानकर माध्यामिक शिक्षा परिषद ने जनता इण्टर कालेज की मान्यता दे दी। अब सवाल यह उठता है कि जब कई वर्षो पूर्व जनता जूनियर हाईस्कूल बन्द हो चुका है तो उस स्कूल की जॉच षिक्षा विभाग के अधिकारी कैसे करते है उनका यह कौन सा मानक है कि बन्द स्कूल उन्हे खुला मिल जाता है। प्रबन्ध तंत्र की बदनीयती के साथ साथ बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के जिम्मेदारो की बदनीयती का ही नतीजा है कि बन्द स्कूल में लम्बे समय से अध्यापको का वेतन अवमुक्त हो रहा है यह जॉच का विषय है और जूनियर हाईस्कूल बन्द कर इण्टर कालेज संचालित करने वाले विद्यालय के प्रबन्ध तंत्र के कारनामो की यदि योगी सरकार ने उच्च स्तरीय जॉच करायी तो जॉच परिणाम चौकाने वाले होगे और शिक्षा विभाग के अधिकारियो के साथ साथ प्रबन्ध तंत्र की कलई खुलेगी और उन्हे दंडित भी होना पडेगा लेकिन क्या योगी सरकार में निष्पक्ष जॉच हो पायेगी यह बडा सवाल है।