चायल टाउन की सरकार दबा रही किसानों की आवाज

बिना मुआवजा दिए ही काश्तकारी भूमि से निकाला मनचाहा रास्ता


चकबन्दी विभाग से भी नहीं मिला परमिशन


कौशाम्बी। दोआबा में किसानों के प्रति जिम्मेदार अफसर बेखौफ हैं। जहां पर किसानों को उनके हक के लिए लाभ मिलना चाहिए वहां उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। ऐसा ही हाल इन दिनों नगर पंचायत चायल में देखने को मिला है। जहां जिम्मेदार अधिकारियों ने कस्बे में बन रहे डंपिंग ग्राउंड के रास्ते के लिए किसानों की जमीन का जबरन अधिग्रहण तो कर लिया लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। आनन फानन और गुपचुप तरीके से किये गए इस खेल को लेकर काश्तकारों ने नाराजगी जाहिर किया है। किसानों ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी सहित शासन स्तर पर भी किया है।
चायल कस्बे में इन दिनों डंपिंग ग्राउंड का निर्माण किया जा रहा है। कस्बे के वार्ड नम्बर 1 सरैया डीहा ने निर्माण हो रहे इस डंपिंग ग्राउंड के लिए कोई समुचित रास्ता नहीं है। डंपिंग ग्राउंड में आने जाने के लिए सुलभ रास्ता हो जाये इसके लिए नगर पंचायत कार्यालय के जिम्मेदारों ने आनन फानन में एक रणनीति तैयार किया। इसके लिए बिना चकबन्दी विभाग की परमिशन के ही जिम्मेदारों ने रास्ते मे पड़ने वाली भूमि के काश्तकारों को रास्ता निकालने और जमीन के बेशकीमती होने का हवाला दिया। ऐसे में काश्तकारों को मिलाकर गुपचुप तरीके से जिम्मेदारों ने डंपिंग ग्राउंड तक आने जाने के लिए रास्ता तो बना लिया लेकिन उन काश्तकारों को जमीन के बदले में मुआवजा नहीं दिया गया। बिन मुआवजा जमीन का अधिग्रहण होने की जानकारी जब काश्तकारों को हुई तो रोष फैल गया। ऐसे में कस्बे के रामराज धर्मराज रामकिशनए राम लखन हरीश कुमार रामसिंह छोटेलाल हरजीवन आदि किसानों ने नगर पंचायत के ईओ दिनेश सिंह से मुलाकात कर मुआवजे को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। काश्तकारों ने प्रकरण को लेकर जिलाधिकारी सहित शासन स्तर पर भी शिकायत भेजकर कार्यवाई की मांग किया है।


क्या है नियम ?


कौशाम्बी। कस्तकार की भूमि से रास्ता लेने और अधिग्रहण करने से पहले राजस्व अथवा चकबन्दी विभाग द्वारा एक गजट तैयार कर आपत्ति के लिए प्रकाशन कराया जाता है। नियत तिथि के अंदर काश्तकारों की आपत्तियां दर्ज होने के बाद उन आपत्तियों का निस्तारण कर काश्तकारों को उचित मुआवजा देने के बाद ही उनकी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है। लेकिन नगर पंचायत चायल में इस नियम को दरकिनार रखा गया है। चकबन्दी विभाग के अंतर्गत आने वाले इस कस्बे में काश्तकारों की जमीन के अधिग्रहण के लिए चकबन्दी विभाग से कोई परमिशन ही नहीं ली गई है। चकबन्दी विभाग के अधिकारियों ने काश्तकारों की भूमि से रास्ता बनाने की जानकारी से ही साफ इंकार किया है।