नौसेना का न्यूक्लियर प्लान, 6 परमाणु हमले करने वाले पनडुब्बियों का करेगा निर्माण


नौसेना अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए अपने बेड़े में 24 नई पनडुब्बियां शामिल करने की योजना बना रही है। इनमें 18 पारंपरिक और छह परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियों का एक बेड़ा तैयार करने की योजना है। यह जानकारी रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने संसद के शीतकालीन सत्र में पेश की गई रिपोर्ट में दी है। 


 

रिपोर्ट में कहा गया है कि नौसेना ने 18 पारंपरिक और छह एसएसएन (परमाणु हमला करने में सक्षम) पनडुब्बियों की योजना बनाई है। नौसेना की मौजूदा ताकत 15 पारंपरिक पनडुब्बी की है और एक एसएसएन पनडुब्बी लीज पर उपलब्ध है। 

इंडियन नेवी ने अरिहंत क्लास एसएसबीएन के अलावा छह न्यूक्लियर अटैक सबमरीन्स बनाने की योजना बनाई है। अरिहंत एक परमाणु हमले की क्षमता से युक्त एसएसबीएन पनडुब्बी है जो जिसमें न्यूक्लियर मिसाइल लगे हैं। न्यूक्लियर अटैक सबमरीन्स का निर्माण देश में ही किए जाने की योजना है जिसके लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझेदारी की जाएगी।


 


रूसी, जर्मन और फ्रेंच स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर रही नौसेना


मौजूदा समय में नौसेना रूस की किलो वर्ग, जर्मन मूल की एचडीडब्ल्यू वर्ग और पारंपरिक डोमेन में नवीनतम फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर रही है, जबकि परमाणु श्रेणी में उसने रूस से एक आईएनएस चक्र (अकुला वर्ग) को लीज पर लिया है। नौसेना ने संसदीय समिति को यह भी बताया कि पिछले 15 साल में केवल दो नई पारंपरिक पनडुब्बियों को शामिल किया गया है। ये स्कॉर्पीन श्रेणी के जहाज आईएनएस कलवरी और आईएनएस खंडेरी है। बाकी नौसेना के वर्तमान बेड़े में 13 पारंपरिक पनडुब्बियां 17 से 31 साल पुरानी हैं।


नौसेना प्रोजेक्ट 75 पर कर रही काम


समिति की रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा 13 पारंपरिक पनडुब्बियों की आयुसीमा 17 से 31 साल के बीच है। नौसेना प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत छह नई पनडुब्बियों के निर्माण पर भी काम कर रही है। नौसेना द्वारा भारतीय कंपनियों और विदेशी मूल की उपकरण निर्माताओं के साथ छह और पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना रणनीतिक साझेदारी नीति के तहत शुरू की जाएगी।