हिंदू समाज में जातिवाद को खत्म कर सामाजिक एकता लाने का कार्य विश्व हिंदू परिषद करेगी यह होगा इसका अगला लक्ष्य


अयोध्या में राममंदिर के निर्माण से संबंधित बाधाएं दूर हो चुकी हैं। विश्व हिंदू परिषद को उम्मीद है कि अगले साल रामनवमी (2 अप्रैल) तक इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएगा। 


 

इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद ने अपने लिए अगले लक्ष्य भी तय कर लिए हैं। संगठन ने बताया है कि अब वह सामाजिक एकता के लिए काम करेगी। हिंदू समाज में व्याप्त जातिवाद को खत्म करना उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। 

इसके लिए सामाजिक क्रम में पीछे रह गई जातियों को शेष जातियों के साथ लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके साथ ही संगठन अपने 'परिवार प्रबोधन' कार्यक्रम का विस्तार करेगा। संगठन को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के जरिए ही कथित रूप से 'लव जिहाद की समस्या' से निबटा जा सकता है।

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने अमर उजाला से कहा कि संगठन लंबे समय से परिवार प्रबोधन कार्यक्रम चलाता आ रहा है। इसके तहत वह हिंदू समाज के लोगों से अपने परिवार के लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने पर जोर देता है। उसका मानना है कि आज के समय में परिवार एकल हो गए हैं। ज्यादातर परिवारों में माता-पिता काम पर चले जाते हैं और पीछे घर में बच्चे अकेले रह जाते हैं। 

ऐसे में वे अकेलेपन और अवसाद का शिकार हो जाते हैं। इससे उनके गलत संगत में जाने और गलत राह पर चले जाने का खतरा बढ़ जाता है। संगठन का मानना है कि अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं और उनकी समस्याओं के साथ अपने को जोड़ें तो बच्चे उनसे दूर नहीं होंगे और इस तरह लड़कियां 'लव जिहाद' का शिकार नहीं होंगी।

विनोद बंसल ने कहा कि परिवार प्रबोधन कार्यक्रम के तहत वे हिंदू परिवारों को परिवार के सभी सदस्यों को साथ भोजन करने पर जोर देते हैं। किन्हीं कारणों से रोज ऐसा न हो तो कम से कम सप्ताह में एक बार साथ बैठने और भोजन करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा वे परिवार को बताते हैं कि उन्हें हिंदू त्योहारों पर या महीने में कम से कम एक बार किसी धर्म स्थल पर जाना चाहिए और सबको साथ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि परिवार के लोगों के साथ रहने से बच्चे भावनात्मक और सांस्कृतिक रुप से ज्यादा दक्ष होते हैं और वे किसी संकट में पड़ने पर परिवार की मदद लेते हैं। ऐसे में उनके गलत राह पर जाने की संभावना बेहद कम होती है। विभिन्न कार्यक्रमों में समाज की सभी जातियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी काम किया जाएगा।