साल 2019 में हरियाणा में सियासी जंग छिड़ी रही। पहले लोकसभा चुनाव की लड़ाई हुई और फिर विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा। जीत का सेहरा दोनों बार भाजपा के सिर बंधा। इसके अलावा भी साल भर में सूबे में कई बड़े सियासी घटनाक्रम हुए। जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों की घेराबंदी हुई। अन्य वरिष्ठ नेता भी चक्रव्यूह में घिरे रहे। एक बड़े सियासी दल को बड़ा नुकसान भी इसी साल झेलना पड़ा। कुछ घोटालों पर सियासत भी हावी रही। सुखद पहलू रही खिलाड़ियों की शानदार सफलता। एक बार फिर सूबे की माटी से जुड़े खिलाड़ियों ने हरियाणा का नाम अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमकाया।
लोकसभा चुनाव: पीएम मोदी ने पार लगाई नैया
साल की शुरुआत हरियाणा में लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट के साथ हुई। पहले जनवरी में जींद उपचुनाव और नगर निगम चुनाव जीतने के बाद से ही मनोहर सरकार के हौसले बुलंद थे। मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई। सूबे की दस लोकसभा सीटों में से भाजपा सात सीटों पर काबिज थी। मगर इस बार टारगेट था 'मिशन दस', फिर मोदी मैजिक चला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी हरियाणा में सभी सीटें जीतने में पूरी ताकत झोंक दी।
पीएम मोदी ने तो हरियाणा से अपना रिश्ता जोड़ते हुए दस की दस लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में डालने की अपील की। हरियाणवियों ने भी मोदी पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए प्रदेश की सभी दस सीटों पर पहली बार कमल खिलाया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा को भी इस बार शिकस्त का सामना करना पड़ा।
विधानसभा चुनाव: बहुमत से दूर, मगर सत्ता मिली भरपूर
उधर, सीएम मनोहर लाल भी हर हलके का रिपोर्ट कार्ड हाथ में ले 'जन आशीर्वाद यात्रा' पर निकल पड़े। हरियाणा भाजपा ने मेहनत खूब की, मगर इस बार पार्टी बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। फिर भी भाजपा ने जननायक जनता पार्टी और आजाद प्रत्याशियों के साथ मिलकर सरकार बनाई और इस तरह मनोहर सरकार-टू की शुरुआत हुई।
सबसे कम उम्र का डिप्टी सीएम
हरियाणा को इस बरस सबसे कम उम्र का डिप्टी सीएम भी मिला। उचाना कलां से जजपा विधायक दुष्यंत चौटाला 31 बरस की उम्र में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री बने। इतना ही नहीं दुष्यंत की 'चाबी' (जजपा का चुनाव चिन्ह) से ही भाजपा के लिए इस बार विधानसभा का ताला भी खुला।
सूबे में जननायक जनता पार्टी (जजपा) ऐसा राजनीतिक दल बना, जो अपना एक साल पूरा होने से पहले ही सरकार का हिस्सा बनने में कामयाब रहा। यह भी पहली बार हुआ, जब ताऊ देवीलाल परिवार के पांच सदस्य चौधरी रणजीत सिंह चौटाला, दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला, अभय चौटाला और अमित सिहाग एक साथ विधायक बनकर विधानसभा की दहलीज तक पहुंचे।
मगर साल के खत्म होते-होते जजपा में बगावती सुर भी फूट गए। सबसे वरिष्ठ विधायक दादा रामकुमार गौतम उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से इस कदर नाराज हुए कि पार्टी में जबरदस्त घमासान मच गया। उनकी ये नाराजगी कुछ विधायकों की अनदेखी को लेकर थी।
चौटाला और हुड्डा पर ईडी का शिकंजा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के निशाने पर कुलदीप
पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे विधायक कुलदीप बिश्नोई भी इस साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (आईटी) के निशाने पर रहे। मामले में विभाग ने उनकी कुछ संपत्तियों को खंगालते हुए जब्त किया। इसके अलावा भी भजनलाल परिवार के लिए यह साल कुछ खास नहीं रहा।
बेटे कुलदीप बिश्नोई ने लोकसभा में अपने बेटे भव्य बिश्नोई को हिसार से टिकट दिलवाकर राजनीति में उनकी एंट्री करवाई, मगर भव्य चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव में लंबे अरसे बाद कुलदीप के भाई पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन बिश्नोई ने भी पंचकूला से चुनाव लड़ा, लेकिन वे भी हार गए। पत्नी रेणुका बिश्नोई को इस बार कुलदीप ने चुनाव नहीं लड़वाया। लेकिन वे खुद अपनी परंपरागत सीट आदमपुर से जीतने में कामयाब रहे।