जम्मू कश्मीर में अब सिर्फ 250 आतंकी बचे हैं, जो पिछले साल 300 थे। हालांकि सीमा पार से आतंकियों को भारत में धकेलने के प्रयास कम नहीं हुए। पाकिस्तान की तरफ से लगातार सीजफायर का उल्लंघन किया गया। इसकी आड़ में आतंकियों को सीमा पार भेजने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। ये बातें डीजीपी दिलबाग सिंह ने कही।
डीजीपी के मुताबिक 2018 में आतंकी घुसपैठ करवाने के लिए 381 बार सीजफायर तोड़ा गया, जबकि 2019 में 858 बार सीजफायर तोड़ा गया। सिंह ने कहा कि बीते साल आतंकी वारदातों में 30 फीसदी की कमी रही है। इसमें अहम बात यह है कि जब हम पहले आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन करते थे तो पत्थरबाजी होती थी। इस साल पुलिस ने आतंकियों के खिलाफ 80 ऑपरेशन किए। इसमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। इन ऑपरेशन में 160 आतंकियों को मार गिराया।
डीजीपी के मुताबिक 2018 में आतंकी घुसपैठ करवाने के लिए 381 बार सीजफायर तोड़ा गया, जबकि 2019 में 858 बार सीजफायर तोड़ा गया। सिंह ने कहा कि बीते साल आतंकी वारदातों में 30 फीसदी की कमी रही है। इसमें अहम बात यह है कि जब हम पहले आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन करते थे तो पत्थरबाजी होती थी। इस साल पुलिस ने आतंकियों के खिलाफ 80 ऑपरेशन किए। इसमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। इन ऑपरेशन में 160 आतंकियों को मार गिराया।
130 आतंकियों ने घुसपैठ की
डीजीपी ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से इस साल 130 आतंकियों ने घुसपैठ की है। जो पिछले साल की तुलना में 13 कम है। पिछले साल 143 आतंकी घुसे थे। कश्मीर के 139 युवा आतंकी संगठनों से जुड़े। 2018 में यह आंकड़ा 218 था। इनमें भी अब सिर्फ 83 बचे हैं।
कश्मीर में रियाज नायकू, जम्मू में जहांगीर सरूरी
जम्मू कश्मीर में पुराने सक्रिय आतंकी भी न के बराबर हैं। कश्मीर में रियाज नायकू और जम्मू संभाग में किश्तवाड़ का आतंकी जहांगीर सरूरी बचा हुआ है। जल्द ही इन आतंकियों का सफाया होगा।
कानून व्यवस्था बिगड़ने में भी कमी
2019 में कानून व्यवस्था के बिगड़ने पर हिंसा की घटनाओं में 36 फीसदी की कमी रही। 2018 में 652 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2019 में सिर्फ 481 घटनाएं ही हुईं। पुलिस को आतंकियों के खिलाफ चलने वाले ऑपरेशन में कानून व्यवस्था बनाए रखने में अवाम का काफी सहयोग मिला है, जिससे यह संभव हो पाया।