राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब लंबी दूरी की यात्रा के लिए अमेरिकी एयरफोर्स वन जैसे विमान में यात्रा करेंगे। यह विमान किसी भी तरह के मिसाइल को चकमा देने में माहिर होगा। एयर इंडिया वन के बेड़े में साल 2020 तक दो बोइंग 777 विमान शामिल होंगे। जो आधुनिक तकनीकी के साथ सुरक्षात्मक रूप से भी उन्नत होंगे।
सूत्रों के अनुसार इन विमानों को केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उप-राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू द्वारा प्रयोग किया जाएगा। देश के तीनों सर्वोच्च व्यक्ति फिलहाल एयर इंडिया के बोइंग बी 747 विमानों से उड़ान भरते हैं।
उड़ान के बाद में इन विमानों को वाणिज्यिक विमानों में तब्दील कर दिया जाता है। जब देश के सर्वोच्च लोगों को यात्रा करने की आवश्यकता होती है तो इसे 'एयर इंडिया वन' में बदल दिया जाता है और ये लोग इससे यात्रा करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक साउथ ब्लॉक के अधिकारियों ने बताया कि, ये दोनों विमान अमेरिका के डलास में बोइंग सर्विस सेंटर में अपग्रेड किए जा रहे हैं। जहां तक सुरक्षा उपायों का संबंध हैं ये विमान अमेरिकी राष्ट्रपति के 'एयरफोर्स वन' से बेहतर होंगे।
ये ईंधन भरने के लिए बिना जमीन पर लैंड किए अमेरिका और भारत के बीच उड़ान भर सकते हैं। यानी इन विमानों में हवा में ईंधन भरने की सुविधा भी मौजूद होगी।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा यात्रा के लिए अब तक प्रयोग किया जा रहा एयर इंडिया का बोइंग बी 747 विमान लगभग दो दशक से ज्यादा पुराने हैं। इन विमानों में एक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले महीने अपने तीन देशों के दौरे के दौरान उड़ान भरी थी। वह विमान एयर इंडिया में पिछले 26 साल से सेवा में है।
साउथ ब्लॉक के अधिकारियों ने बताया कि इन नए विमानों को पीएम मोदी के लिए एक कार्यालय, बैठक कक्ष होगा। इसके अलावा ये विमान आधुनिक संचार प्रणालियों से लैंस किए गए हैं।
इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन में इस्तेमाल किया गया सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट (एसपीएस) भी होगा। इस सुरक्षा प्रणाली में बड़े विमान इन्फ्रारेड काउंटरमेजर्स, एकीकृत रक्षात्मक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट और काउंटर-माप वितरण प्रणाली शामिल हैं। ये दुश्मन के रडार को जाम कर सकते हैं और उनके मिसाइलों का रास्ता भी बदल सकते हैं।
यह चेतावनी और काउंटरमेजर्स सिस्टम पूर्ण स्थानिक कवरेज प्रदान करने के लिए कई सेंसर का उपयोग करता है और चालक दल द्वारा आवश्यक कार्रवाई के बिना ही उन्नत इंटरमीडिएट रेंज मिसाइल सिस्टम को नष्ट कर सकता है। इसके तुरंत बाद ही पायलट को सूचना मिल जाएगी कि एक मिसाइल का पता लगाया गया और उसे जाम कर दिया गया।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने फरवरी 2019 में भारत को इन रक्षा प्रणालियों की प्रोद्योगिकी देने की घोषणा की थी। इसके अनुसार भारत को लगभग 1400 करोड़ रुपये का खर्च करने होंगे।