मोटर व्हीकल (संशोधन) बिल, 2019 सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने इस बिल को सोमवार को पेश किया। सरकार ने बिल के प्रावधानों को और सख्त बनाने की सिफारिश की है। साथ ही, सरकार ने बिल में प्रस्ताव दिया है कि मोटर वाहन दुर्घटना में मौत होने पर पांच लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल होने पर होने पर ढाई लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। बिल में माल ढुलाई और यात्रियों के परिवहन पर दिशानिर्देश बनाने को लेकर भी राष्ट्रीय परिवहन नीति बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
गडकरी का भी हुआ था एक्सीडेंट
सोमवार को लोकसभा में संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 पेश करते हुए भावुक नितिन गडकरी ने कहा ''मेरा भी एक्सीडेंट हुआ था और पैर चार जगह से टूटा था।'' उन्होंने कहा कि बिल में संशोधन राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं है। अगर राज्यों को इस बिल के संशोधनों को लेकर आपत्ति या एतराज है, तो मुझसे बात करें, या तो मेरी बात मानें या मैं आपकी बात मानूंगा। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस बिल का विरोध कर रही हैंं। तृणमूल के स्वागत रॉय ने कहा कि ग्रामीण परिवहन व्यवस्था सुधारने के नाम पर इस बिल के जरिये राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं, जो कि राज्य के अधिकार का हनन है।
30 फीसदी लाइसेंस फर्जी
वहीं सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी बिल के कुछ हिस्सों का विरोध करते हुए कि यह राज्यों को मिले संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। जिसका उत्तर देते हुए गडकरी ने कहा कि बिल के जिन हिस्सों का विपक्षी नेता विरोध कर रहे हैं, उनसे राज्यों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि देश में लाइसेंस बनाना बेहद आसान हो गया है और देश में तकरीबन 30 फीसदी लाइसेंस फर्जी हैं। लोगों को कानून की कोई परवाह नहीं है और वे 50-100 रुपये के जुर्माने की परवाह नहीं करते।
तमिलनाडु मॉडल का दिया उदाहरण
गडकरी ने तमिलनाडु मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि वहां हर साल सड़क हादसों में 15 फीसदी की कमी आई है। गडकरी ने माना यह उनके मंत्रालय की गलती है कि कई प्रयासों के बावजूद हादसों में केवल 4 फीसदी की ही कमी आई है। उन्होंने कहा कि हमें तमिलनाडु का मॉडल अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर न तो वे कोई राजनीति कर रहे हैं और न ही राज्यों के अधिकार छीन रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस बिल के पास होने से लाखों लोगों की जिंदगी बच जाए। पुराने संशोधन बिल के मुकाबले इसके केवल तीन हिस्सों में ही बदलाव का प्रस्ताव है, जो पिछली 16वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही समाप्त हो गए थे।
हादसों में हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत
गडकरी ने कहा कि वे देश की परिवहन व्यवस्था को सुधारना चाहते हैं। हर साल सड़क हादसों में एक लाख 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है, जबकि पांच लाख लोग घाल हो जाते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बिल को 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों के अलावा संसदीय स्थाई समिति और संयुक्त चयन समिति से मंजूरी मिल चुकी है। संशोधित विधेयक में कुछ प्रावधानों को लेकर कुछ सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताओं पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को अधिकारों को छीनना नहीं चाहती है, उन्होंने सदन से आग्रह किया कि सदन को यह कानून पास करना चाहिये ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।
रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर जुर्माने की व्यवस्था
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में सड़क यातायात उल्लंघन को लेकर नियमों को कड़ा किया गया है। खबरों के मुताबिक केंद्र ने मोटर व्हीकल संशोधन बिल, 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की एक धारा को बदलने का प्रस्ताव रखा है। जिसके तहत राज्यों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वाहन पंजीकरण डाटा को केंद्रीयकृत करने के लिए रजिस्टर को मेंटेन करने की अनुमति दी गई है। साथ ही, वाहन के रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर 100 रुपये से बढ़ा ककर 5000 रुपये जुर्माने की भी व्यवस्था की गई है। संशोधित बिल में यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि अगर ड्राइविंग के दौरान जरा सी भी लापरवाही की, तो तकरीबन 10 गुना तक जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। नए बिल में सभी राज्यों में यूनिफॉर्म ड्राइविंग लाइसेंस और व्हीकल रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को ऑनलाइन नेशनल रजिस्टर में शामिल करने की व्यवस्था की गई है। वहीं अगर नाबालिग ड्राइविंग के दोषी पाये जाते हैं तो कार के रजिस्ट्रेशन को खत्म करने के साथ उसके पैरेंट्स पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं हिट एंड रन मामलों में 10 लाख रुपये तक का मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है।
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में आधार जरूरी!
खबरें हैं कि केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भी अगली बैठक में मोटर व्हीकल बिल में बदलावों को मंजूरी देने की तैयारी कर रहा है। बिल में सशोधनों को ज्यों का त्यों रखा गया है। इसमें सबसे बड़ा खास बदलाव यह होगा कि लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में आधार को जरूरी किया जा सकता है। वहीं सभी राज्यों में रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को कंप्यूटराइज करके यूनीफॉर्म रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू किया जाएगा। साथ ही, सरकार वन-नेशन-वन-टेक्स स्कीम को लागू करने की योजना बना रही है, जिसके बाद एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन चलाना आसान हो जाएगा।
1 लाख रुपये तक जुर्माना
वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक सामान ढोने वाले वाहनों में प्रदूषण के स्तर का पता लगाने के लिए ऑटोमैटेड फिटनेस टेस्टिंग को शुरू किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, जो 1 लाख रुपये तक बढ़ सकता है, और राज्य सरकारें इसे 10 गुना तक बढ़ा सकती हैं।
नाबालिग के हाथों हुआ हादसा तो पैरेंट्स जिम्मेदार
साथ ही इस बिल में जो सबसे बड़े बदलाव होंगे, उनमें ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी-भरकम जुर्माना, अगर नाबालिग से कोई दुर्घटना होती है, तो वाहन का मालिक भी आपराधिक रूप से भागीदार होगा, ऑटो कंपनियां वाहनों को रिकॉल करके खराब पार्ट्स को बदलेंगी और घायलों की मदद करने वालों को सुरक्षा मिलेगी।
पीड़ित परिवारों को 2 लाख तक की मदद
- हिट एंड रन मामलों में पीड़ित परिवारों को 2 लाख तक की मदद सरकार देगी, अभी यह रकम 25 हजार रुपये है।
- अगर नाबालिग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो उसके पेरेंट्स या वाहन के मालिक को भी जिम्मेदार माना जाएगा। अब वे ये कह कर नहीं बच पाएंगे कि उनकी जानकारी में नहीं था। नाबालिग पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मुकदमा चलेगा और वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
शराब पीकर वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये जुर्माना
- शराब पीकर वाहन चलाने पर 2 हजार की बजाय 10 हजार रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। वहीं रैश ड्राइविंग पर जुर्माना 1 हजार से बढ़ा कर 5 हजार रुपये कर दिया गया है।
- बिना लाइसेंस ड्राइविंग करने पर 500 रुपये बढ़ा कर 5 हजार रुपये, ओवरस्पीडिंग पर 400 रुपये से बढ़ा कर 1000-2000 रुपये। बिना सीटबेल्ट ड्राइविंग करने पर 100 रुपये से बढ़ा कर 1000 रुपये जुर्माना लगेगा।
ड्राइविंग के दौरान फोन पर बात करने पर 5 हजार जुर्माना
- ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करने पर 1000 रुपये की जगह 5000 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा।
- साथ ही, लाइसेंस रिन्यू कराने की एक्सपायरी डेट एक महीने से बढ़ा कर एक साल कर दी गई है। यानी कि लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए एक साल पहले ही आवेदन करना होगा।
- वहीं वे लोग जो हादसे में घायलों की मदद करेंगे, उन पर कोई सिविल या क्रिमिनल मुकदमा मामला नहीं चलेगा। उन्हें पुलिस या मेडिकल स्टाफ से अपनी पहचान छुपाने का विकल्प मिलेगा।