अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत के रूस के साथ हथियार खरीद के सौदे जारी हैं। ताजा सौदा 200 करोड़ रुपये का एंटी टैंक मिसाइल स्ट्रम अटाका की खरीद का हुआ है।
नई दिल्ली। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत के रूस के साथ हथियार खरीद के सौदे जारी हैं। ताजा सौदा एंटी टैंक मिसाइल स्ट्रम अटाका की खरीद का हुआ है। 200 करोड़ रुपये के इस सौदे में रूसी कंपनी को तीन महीने के भीतर मिसाइलों की आपूर्ति करनी होगी। ये मिसाइल एमआइ-35 अटैक हेलीकॉप्टर की फ्लीट में लगाई जाएंगी, जो रण के मैदान में कम ऊंचाई से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम हैं।
स्ट्रम अटाका की खरीद आपातस्थिति के प्रावधान के तहत की जा रही है। इस तरह के सौदों में हस्ताक्षर होने और भुगतान होने के तीन महीने के भीतर माल की आपूर्ति करनी होती है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट पर हवाई हमला किया था। अगले ही दिन 27 फरवरी ने जवाबी हवाई हमले की कोशिश की थी। उससे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध सरीखे हालात बन गए थे।
भारत भविष्य में इस तरह के हालात फिर पैदा होने के विषय में सोचकर चल रहा है। इसीलिए वह युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहता है। इसी का नतीजा है कि वह आनन-फानन में स्ट्रम अटाका मिसाइलों की खरीद कर रहा है। रूसी हथियारों की खरीद पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध को न मानते हुए भारत ने यह सौदा किया है। इससे साफ हो गया है कि रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर अमेरिकी दबाव का कोई नतीजा नहीं निकलने वाला। हाल में आए नई दिल्ली आए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने पांच अरब डॉलर के इस बड़े सौदे पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।
हमलावर वाहनों को बर्बाद करने में हैं सक्षम
स्ट्रम अटाका मिसाइलें टैंक, बख्तरबंद वाहनों और अन्य सैन्य वाहनों पर हमला कर उन्हें बर्बाद करने में सक्षम हैं। इन्हें एमआइ-35 अटैक हेलीकॉप्टर में फिट किया जाएगा। वैसे एमआइ हेलीकॉप्टर का विकल्प अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर को बनाने की तैयारी भारतीय वायुसेना ने कर ली है। वायुसेना को अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर की आपूर्ति शुरू हो गई है। भारत इस रूसी मिसाइल को खरीदने की कोशिश करीब दस साल से कर रहा था लेकिन अब आपातस्थिति के प्रावधानों के तहत यह सौदा संभव हो सका है।
आपातस्थिति में हो सकती है 300 करोड़ की खरीद
पिछले हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के लिए आपात खरीद की जरूरतों के बारे में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था, उसी के बाद यह सौदा हुआ है। नए प्रावधानों के तहत तीनों सेनाएं अपनी-अपनी पसंद के हथियार व सामग्री आपातस्थिति के प्रावधानों के तहत खरीद सकती हैं। लेकिन इसके तहत होने वाली प्रत्येक खरीद 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए।