World Cup 2019 : सुनील गावस्कर ने रोहित शर्मा और शिखर धवन को दी ये सलाह


World Cup 2019 Exclusive सुनील गावस्कर 125 टेस्ट और 108 वनडे खेलने महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर किसी क्रिकेट और टीम के बारे में अगर टिप्पणी करते हैं तो दुनिया उसको सुनती है।


25 टेस्ट और 108 वनडे खेलने महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर किसी क्रिकेट और टीम के बारे में अगर टिप्पणी करते हैं तो दुनिया उसको सुनती है। एलन बॉर्डर को पीछे छोड़कर टेस्ट में सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड बनाने वाले गावस्कर कहते हैं कि वनडे के कारण टेस्ट और टी-20 के कारण वनडे में इतने रन बनने लगे। उन्होंने इस बदलाव को अच्छा बताया। इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप में भारतीय टीम को क्या करना चाहिए, इस पर अभिषेक त्रिपाठी ने सुनील गावस्कर से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-


1. विश्व कप के लिए चुनी गई 15 सदस्यीय भारतीय टीम को आप किस तरह से देखते हैं ?


देखिए टीम काफी अच्छी और संतुलित लग रही है। भारतीय टीम के पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तीन वनडे बल्लेबाज हैं। ओपनरों के अलावा विराट कोहली हैं। फिर मैच की स्थिति के हिसाब से पांचवें या छठे नंबर पर खेलने वाले एमएस धौनी हैं। हार्दिक पांड्या भी हैं जो अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं। इसके अलावा गेंदबाज भी हैं।


2. क्या रिषभ पंत जाते तो अच्छा होता। क्या वह सच में एक्स फैक्टर साबित होते?


 


टीम के चयन को लेकर भारतीय क्रिकेट को चाहने वाले हर शख्स की अपनी-अपनी राय होगी। पांचों चयनकर्ताओं ने जो टीम चुनी वह सही या गलत है, इसके बारे में विश्व कप के बाद पता चलेगा। टीम के चयन से पहले मैं अपने विचार रख सकता हूं कि इसको लेना चाहिए या उसको लेना चाहिए लेकिन मेरा मानना सिर्फ इतना है कि अगर एक बार टीम का चयन हो गया तो वह मेरी टीम बन गई और हर भारतीय की भी वही टीम होनी चाहिए। अगर टीम चयन के बाद आप किसी की आलोचना करेंगे तो उसका मनोबल नीचे आ सकता है। ऐसे में मेरी यही धारणा है कि जो टीम चयनित हो गई हमें उसका समर्थन करना है। चयनकर्ताओं की जो जिम्मेदारी थी, वह उन्होंने निभाई। पंत युवा हैं और उन्हें विश्व कप में नहीं चयनित होने से निराशा हुई होगी लेकिन उस निराशा को उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से संभाला है और वह स्डैंडबाई में हैं तो कुछ भी संभव है। नसीब की बात है।


3. चौथे नंबर को लेकर दो साल से चर्चा हुई। कोच रवि शास्त्री ने कहा है कि हमारे पास कई विकल्प हैं। आपकी राय?


 


सवाल यह है कि चौथे नंबर के बल्लेबाज को मौके कितने मिलते हैं। पिछले कुछ सालों भारतीय टीम की बल्लेबाजी को देखें तो हमारे शीर्ष तीन बल्लेबाज ही 40-45 ओवर खेल जाते हैं। ऐसे में उसके बाद चौथे नंबर का बल्लेबाज आकर क्या करेगा। कुछ मौके थे जब विराट नहीं खेले तो चौथे नंबर के बल्लेबाज को थोड़ा ज्यादा वक्त क्रीज पर बिताने को मिला। शास्त्री बिलकुल ठीक कह रहे हैं। टीम के पास इस क्रम की बल्लेबाजी के लिए केएल राहुल का विकल्प है। कई सलामी बल्लेबाज चौथे नंबर पर खेले हैं। हालांकि बहुत कम देखने को मिला है कि चौथे नंबर का बल्लेबाज ओपनिंग करे। विकल्प के रूप में टीम के पास एमएस धौनी हैं, केदार जाधव और विजय शंकर हैं। अभ्यास मुकाबलों में ही पता चल जाएगा कि कौन क्या कर सकता है। हमारे शुरुआती तीन बल्लेबाज ही इतने अच्छे हैं कि चौथे नंबर के बारे में मैं ज्यादा नहीं सोच रहा।


4. आप इंग्लैंड की परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। ऐसे में भारतीय टीम को आप क्या सुझाव देंगे ?


 


इंग्लैंड में बल्लेबाज जितनी देरी से खेलें, उतना अच्छा रहता है क्योंकि इंग्लैंड की पिचों पर सफेद गेंद हिलती रहती है और गेंद पिच पर गिरने के बाद सीम होती है। भारत, ऑस्ट्रेलिया और कैरेबियाई पिचों पर गेंद हिलती है, पर ज्यादा नहीं। ऐसे में आप थ्रू द लाइन खेल सकते हैं। मतलब हाफ वॉली होने की जरूरत नहीं है लेकिन इंग्लैंड में हाफ वॉली होना जरूरी है। ऐसे में इंग्लैंड में आप जितना देरी से और शरीर के करीब खेलेंगे उतना आपको फायदा मिलेगा। गेंदबाजों के लिए भी अपनी लेंथ को संभालना जरूरी है। भारत में जब स्पिनर्स गेंदबाजी करते हैं तो वह काफी आगे डालते हैं लेकिन इंग्लैंड की पिचों पर उस लाइन से उन्हें मार पड़ सकती है। स्पिनर्स को अपनी लेंथ थोड़ी पीछे रखनी पड़ेगी। भारतीय गेंदबाजों के पास अनुभव है। वे पिछले साल ही इंग्लैंड में खेलने गए थे। उससे पहले 2017 में भी चैंपियंस ट्रॉफी खेले थे तो इनके पास अनुभव है। अगर इंग्लैंड में गर्मी बढ़ी तो शायद गेंद उतनी ना हिले लेकिन फिर गेंद घूमेगी क्योंकि पिच सूखी होगी तो गेंद अच्छी तरह से घूम सकती है।


5. इंग्लैंड में वनडे में लगातार 300 और कई बार तो 400 से ऊपर रन बन रहे हैं। हाल में वहां 500 रनों के लिए स्कोर बोर्ड तैयार किया गया है। क्रिकेट के इस बदलते प्रारूप के बारे में क्या कहेंगे?


 


क्रिकेट में जो बदलाव आया है वह दर्शकों के लिए बहुत मनोरंजक है। हालांकि इसकी वजह से गेंदबाजों की हालत थोड़ी खराब हो रही है लेकिन वे भी समय के साथ सीख रहे हैं। गेंदबाजों के पास भी कई तरह की विविधता आ गई है। धीमी गति के बाउंसर को ही ले लें जिसकी शुरुआत शॉन पोलाक ने की थी। उनके बाद करीब-करीब हर गेंदबाज धीमी गति के बाउंसर का इस्तेमाल करता है। खासतौर से डेथ ओवरों में। इसी तरह स्पिनर्स भी गेंद को बल्लेबाज से दूर फेंकते हैं। मेरे लिए सिर्फ बाउंड्री ही एक ही चिंता की बात है क्योंकि जब तक बाउंड्री की लंबाई बढ़ाई नहीं जाएगी तब तक ऐसा ही होता रहेगा और आसानी से 400-500 रन बनते रहेंगे। उम्मीद करता हूं कि अब भविष्य में जह आइसीसी के टूर्नामेंट होंगे तो वे बाउंड्री लंबी रखेंगे।


6. क्या इसके लिए कोई मानक तय होना चाहिए ?


 


देखिए यह टी-20 क्रिकेट का असर है। वनडे क्रिकेट का असर टेस्ट क्रिकेट पर था। पहले टेस्ट क्रिकेट में एक दिन में 200-220 रन बना करते थे लेकिन वनडे क्रिकेट की वजह से 280-300 रन बनने लगे। ऑस्ट्रेलिया की टीम एक दिन में 300 रन बनाती थी। वहीं पहले वनडे क्रिकेट में 50 ओवर में 250-270 रन बनते थे तो टी-20 की वजह से अब 325 से लेकर 400 रन बनने लगे। ऐसे में मेरा मानना है कि जो अलग-अलग प्रारूप हैं, उनका असर एक-दूसरे पर हो रहा है। मैं समझता हूं कि यह बल्लेबाजी के नजरिये से बड़ा सकारात्मक बदलाव हो रहा है। हालांकि अभी भी अगर गेंद और बल्ले के बीच में बराबरी का मुकाबला हो तो ज्यादा मजा आता है। जो आम दर्शक हैं, उन्हें बस चौके और छक्के से मजा आता है।


7. शुरुआती मुकाबलों में आप भारत के गेंदबाजी आक्रमण में किसे देखना चाहेंगे?


 


बुमराह, शमी और भुवनेश्वर के रूप में हमारे पास तीन अच्छे तेज गेंदबाज हैं जिन्हें खेलने ही चाहिए। उनके साथ शायद एक स्पिनर खेल सकता है। हालांकि अगर जडेजा को आप एक ऑलराउंडर की हैसियत से खिलाते हैं तो आपके पास दो स्पिनर हो सकते हैं। सामने वाली टीम की बल्लेबाजी कैसी है, उस आधार पर आप या तो चहल या फिर कुलदीप को खिला सकते हैं। विरोधी टीम के पास अगर ज्यादा बायें हाथ के बल्लेबाज हैं तो आप चहल को खिलाएं और जडेजा को खिलाएं। जो गेंद लेग स्टंप से ऑफ स्टंप की ओर घुमाएंगे। खासतौर से पिच और विरोधी टीम को देखकर टीम का चयन किया जाना चाहिए।


8. संभवत: धौनी का यह आखिरी विश्व कप है। पिछले साल उनकी वनडे में धीमी बल्लेबाजी की आलोचना हुई वह कितने उपयोगी रहेंगे?


 


हमें धौनी की उपयोगिता सिर्फ बल्लेबाज के तौर पर नहीं देखनी है। हमें उनकी विकेटकीपिंग भी देखनी है और देखना है कि वह अपनी विकेटकीपिंग से हमारे गेंदबाजों को कितना फायदा पहुंचाते हैं। जब फील्डिंग के समय विराट लांग ऑन, डीप मिडविकेट या लांग ऑफ की ओर होते हैं तो धौनी स्कॉयर लेग और प्वाइंट के क्षेत्ररक्षक को स्थिति के हिसाब से इधर-उधर करते रहते हैं। जब ड्रिंक्स होगी तो वह अपने अपार अनुभव से कोहली को फायदा पहुंचाएंगे जो अमूल्य होगा। टीम में धौनी की जगह को लेकर कोई शक ही नहीं है। उम्मीद यही करते हैं कि वह अपने धूम-धड़ाके वाले खेल से सबको आनंदित करेंगे।


9. आपके हिसाब से विश्व कप के फाइनल में कौन कौन सी टीमें पहुंचेंगी?


मेरे हिसाब से खिताब की सबसे प्रबल दावेदार इंग्लैंड है। आपने देखा हाल ही में उसने पाकिस्तान के खिलाफ बड़े-बड़े स्कोर किए। सबसे बड़ी बात यह है कि वह अच्छे अभ्यास में हैं। दूसरी बात यह है कि उनके पास अपनी परिस्थितियों में खेलने का लाभ होगा। लोग माने या ना माने लेकिन मैदानकर्मी भी घरेलू टीम को फायदा पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। अगर विपक्षी टीम की ताकत स्पिन है तो वह कोशिश करेंगे कि पिच पर थोड़ी घास छोड़ी जाए, ताकि विरोधी टीम के स्पिनरों को मदद ना मिल सके। ऐसा होता है जो बहुत आम है। दर्शकों का समर्थन उनके लिए मायने रखेगा लेकिन मुझे लगता है कि जब वह भारत के खिलाफ खेलेंगे वहां 80-90 फीसद दर्शक हमारे ही होंगे। ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह से पहले भारत में और फिर यूएई में पाकिस्तान के खिलाफ खेल दिखाया, उसे देखकर, उसे भी दावेदारों में शामिल किया जा सकता है। भारत तो है ही। चौथी टीम न्यूजीलैंड की हो सकती है क्योंकि मैं समझता हूं कि इंग्लैंड की परिस्थितियां न्यूजीलैंड की तरह ही होती हैं। उनकी गेंदबाजी काफी अच्छी है और बल्लेबाज भी अच्छे हैं।


10. आप तकनीकि रूप से दक्ष दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे। ऐसे में भारतीय ओपनरों के लिए आपकी सलाह?


रोहित और शिखर को बाउंड्री पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय सिंगल्स और डबल्स पर ध्यान लगाना होगा। जब तक उनका फुटवर्क ठीक नहीं बैठ जाता तब तक उन्हें संभलकर खेलना होगा। जब आपका फुटवर्क ठीक हो जाता है तो आप गेंद की उछाल और गति के साथ स्विंग का भी अच्छे से अंदाजा लगाने लगते हैं और आप आसानी से शॉट्स खेलने शुरू कर सकते हैं। मैंने पहले भी कहा था कि यह बात सफेद और लाल गेंद के अंतर को समझने की है। सफेद गेंद है तो मुझे नहीं लगता कि ज्यादा सोचने की जरूरत है क्योंकि यह गेंद ज्यादा हिलती नहीं है। शिखर और रोहित के पास वह काबिलियत है कि वह ऐसी परिस्थितियों का सामना कर सकें। हालांकि कुछ मुकाबलों में थोड़ा ऊपर-नीचे हो सकता है क्योंकि एक अच्छी गेंद दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज को भी चकमा दे सकती है। ऐसे में उन्हें थोड़ी लक की भी जरूरत होगी।