चौतरफा मुश्किलों में कांग्रेस, कर्नाटक, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान की सरकारों पर संकट के बादल


कांग्रेस की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। एक ओर राहुल इस्‍तीफा देने पर अड़े हैं वहीं कर्नाटक में विधायकों के बागी रुख से कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर खतरा मंडराने लगा है।


 जेएनएन।   कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी की करारी हार के बाद एक ओर राहुल गांधी जहां अपने पद से इस्‍तीफा देने पर अड़े हुए हैं। वहीं, कर्नाटक में भाजपा नेताओं के दावे और विधायकों के बागी तेवरों के चलते कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। मध्‍य प्रदेश में भी कमलनाथ की कुर्सी को लेकर अटकलें तेज हैं। राजस्‍थान में अशोक गहलोत की कुर्सी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यही नहीं कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अधिवेशन बुलाने की चर्चाएं भी जोर पकड़ने लगी हैं।


अध्यक्ष पद छोड़ने पर अड़े राहुल


नाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस को चौतरफा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी नेताओं के आग्रह के बावजूद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने इरादों को बदलने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। राहुल ने कांग्रेस नेताओं को एक बार फिर साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी को नये अध्यक्ष का विकल्प तलाश लेना चाहिए। यही नहीं उन्‍होंने पार्टी अध्‍यक्ष के लिए गांधी परिवार से बाहर के चेहरों पर गौर करने की बात कही है। इस तरह अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष बनाने की कांग्रेस नेताओं की किसी पहल पर उन्होंने पहले ही ब्रेक लगा दिया है।


 


कमलनाथ से छिन सकता है प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष का पद 



राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में परोक्ष रूप से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पी. चिदंबरम की भूमिका पर परोक्ष रूप से असंतोष और रोष जताया था। कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में उन्‍होंने कहा था कि कुछ वरिष्‍ठ नेताओं ने पार्टी की बजाय परिवार पर ज्यादा ध्यान दिया है। कमलनाथ से प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष का पद छिन सकता है। सूत्र बताते हैं कि नए पीसीसी चीफ के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर अजय सिंह, रामनिवास रावत, बिसाहूलाल सिंह, मंत्री डॉ. गोविंद सिंह व जीतू पटवारी के नाम की चर्चा है।


राजस्‍थान में सीएम विरोधी खेमा सक्रिय



राजस्‍थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को टिकट दिलाने के लिए जिद करने और अन्य क्षेत्रों में ध्यान नहीं देने के आरोपों के साथ प्रदेश में सीएम विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है। एक तरफ तो रविवार देर रात जहां सीएम के खास प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने पद से इस्तीफा दिया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी से भी उन्‍हें कोई सकारात्‍मक जवाब नहीं मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो सभी 25 सीटें हारने के बाद कांग्रेस में जयपुर से लेकर दिल्ली तक चल रही आंतरिक खींचतान के बीच गहलोत और पायलट खेमा अपने-अपने स्तर पर रणनीति बनाने में जुटा है।


 


करारी हार के बाद से पार्टी में इस्तीफों दौर



इन सबके बीच, लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद से पार्टी में इस्तीफों दौर चल रहा है। पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की जिसके बाद राज्य प्रदेश प्रभारी भी इस्‍तीफों की पेशकश कर रहे हैं। असम, पंजाब और मध्य प्रदेश से लेकर राजस्थान तक के दिग्गज नेता पद से इस्तीफे की बात कर चुके हैं। यही नहीं अब तक विभिन्‍न सूबों के 13 वरिष्ठ नेताओं ने अपना इस्तीफा राहुल गांधी के पास भेजा है। तीन नए प्रदेश प्रमुखों के साथ इस्‍तीफा देने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्षों की संख्‍या भी बढ़कर छह हो गई है। 


गुजरात से भी कांग्रेस के लिए अच्‍छी खबर नहीं


 
गुजरात से भी कांग्रेस के लिए अच्‍छी खबर नहीं आ रही है। कांग्रेस से नाराज चल रहे विधायक अल्पेश ठाकोर ने दावा किया है कि राज्य में कांग्रेस के 15 से  ज्यादा विधायक पार्टी छोड़ने वाले हैं। हालांकि, उन्‍होंने भाजपा में शामिल होने की खबरों को खारिज कर दिया। अल्पेश ठाकोर ने कहा कि कांग्रेस से हर कोई नाराज  और असंतुष्ट है। कांग्रेस लोगों की जरूरतों को समझने में नाकामयाब रही है। कांग्रेस नेता बार-बार घोटालों की बात करते हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है, लगता है कि  उनके दिमाग में ही कोई 'केमिकल लोचा' है। 


विरोधियों से कम आपसी लड़ाई में उलझे नेता 



राजनीति विश्‍लेषकों की मानें तो कांग्रेस की मुश्किलें इस लोकसभा चुनाव से ही बढ़ने लगी थीं। चुनावों के दौरान पार्टी में भीतरी खींचतान अपने चरम पर थी जिसका पटाक्षेप नतीजों ने कर दिया है। विश्‍लेषक मानते हैं कि कांग्रेस के नेता चुनावों के दौरान विरोधियों से कम आपसी खींचतान में ज्‍यादा उलझे हुए थे। शिवसेना ने संपादकीय में कांग्रेस पर बड़े बुनियादी सवाल उठाए हैं। शिवसेना ने लिखा है कि कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी वंशवाद और पेंशनर क्लब से घिरे हुए हैं और यही कारण है कि आज कांग्रेस की ऐसी स्थिति हो गई है। अब गेंद कांग्रेस आलाकमान के पाले में है। देखना दिलचस्‍प होगा कि वह कांग्रेस में किस तरह के आमूलचूल बदलाव से इन मुश्किलों से निपटते हैं।