भारत के खिलाफ एफ-16 के इस्तेमाल से पाकिस्तान बुरी तरह से फंस चुका है। अब बारी है अमेरिका द्वारा कार्रवाई करने की। अमेरिका उसके खिलाफ कई तरह के एक्शन ले सकता है।
नई दिल्ली । भारत-पाकिस्तान के बीच 27 फरवरी को जो कुछ हुआ वह पूरी दुनिया जानती है। भारत के बालाकोट के जवाब में पाकिस्तान ने जो हिमाकत एफ-16 को भारत में भेजकर की है वह अब उसके गले की फांस बन चुकी है। अमेरिका ने भारतीय रिपोर्ट्स का हवाला लेते हुए इस बाबत पाकिस्तान से जवाब मांगा है। आपको बता दें कि अमेरिका ने पाकिस्तान को 80 के दशक में यह लड़ाकू विमान कूछ शर्तों के साथ दिए थे। इसमें एक शर्त यह थी कि इन विमानों का इस्तेमाल पाकिस्तान किसी पर हमला करने के लिए नहीं कर सकेगा। इसका उपयोग सिर्फ अपने बचाव के लिए या सुरक्षा के लिहाज से किया जा सकता है। इसके अलावा वैश्विक आतंकवाद के खात्मे के लिए इन विमानों का उपयोग किया जा सकता है। इन विमानों के उपयोग के लिए पाकिस्तान को अमेरिका से इजाजत लेनी होगी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत के आरोपों को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने कहा है कि उसने एफ-16 नहीं बल्कि जेएफ-17 लड़ाकू विमान का इस्तेमाल किया था। यह विमान चीन और पाकिस्तानन ने मिलकर तैयार किया है। हालांकि अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह इससे जुड़ी सभी रिपोर्ट्स पर ध्यान दे रहा है और इसके इस्तेमाल को लेकर संजीदा है।
80 के दशक में मिले थे पाक को एफ-16
लेकिन अब जबकि अमेरिका ने पाकिस्तान से इस बाबत जानकारी लेने की बात कह दी है तो यहां पर ये भी जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि यदि यह साबित हो गया कि पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में एफ-16 के माध्यम से न सिर्फ हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया बल्कि भारत के सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की तो अमेरिका उस पर किस तरह की कार्रवाई कर सकता है। आपको बता दें कि 80 के दशक में अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 दिए थे। उसी समय भारत ने मिराज 2000 को लेकर फ्रांस से सौदा किया था। इस बाबत दैनिक जागरण ने रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा से बात की। उनका कहना है कि भारत में पाकिस्तान द्वारा एफ-16 के इस्तेमाल को लेकर कोई शक नहीं है। जहां तक अमेरिका के एक्शन लेने की बात है तो वह कई तरह की कार्रवाई पाकिस्तान के खिलाफ कर सकता है।
कुछ शर्ता पर दिए गए थे पाक को एफ-16
उनके मुताबिक अमेरिका ने पाकिस्तान को दो तरह से एफ-16 विमानों की सप्लाई की है। 80 के दशक में जो विमानों की सप्लाई की गई थी उनमें वह शर्त नहीं थी जो बाद में सप्लाई किए गए विमानों को देते समय अमेरिका ने रखी थी। उनके मुताबिक पेसलर संशोधन के बाद अमेरिका ने एफ-16 की बिक्री बंद कर दी थी। इसकी वजह थी पाकिस्तान द्वारा न्यूक्लियर टेस्ट करना था। पेसलर संशोधन में कहा गया था कि किसी भी ऐसे देश को एफ-16 लड़ाकू विमान नहीं दिए जा सकते हैं जिसने परमाणु परीक्षण किया हो। हालांकि उस वक्त भी पाकिस्तान ने अमेरिका को 28 एफ-16 लड़ाकू विमानों का आर्डर दिया हुआ था। लेकिन पेसलर संशोधन की वजह से अमेरिका के हाथ बंध गए थे। लेकिन बाद में अफगानिस्तान में अमेरिका के आने के बाद हालात बदल गए। उस समय जो एफ-16 लड़ाकू विमान पाकिस्तान को दिए गए वह इस शर्त पर थे कि इनका इस्तेमाल सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ किया जा सकता है। उनके मुताबिक यह भी काफी हद तक संभव है कि दूसरी खेप देते समय अमेरिका ने पुराने लड़ाकू विमानों पर भी इस शर्त को रख दिया हो।
रुक सकती है वित्तीय मदद
जहां तक पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की बात है तो अमेरिका पाकिस्तान को दिए जाने वाली वित्तीय मदद को रोक सकता है। इसके अलावा वह आर्थिक दबाव भी डाल सकता है, जो पाकिस्तान को मुश्किल में डाल सकता है। एक अन्य देशों या संगठनों के माघ्यम से होने वाली फंडिंग को भी बंद करवा सकता है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जिस एफ-16 का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किया उस पर क्या शर्त लागू होती है।
भारत का सुबूत दमदार
एयर मार्शल चोपड़ा के मुताबिक पहली खेप में कोई शर्त न लगाने की वजह यह हो सकती है कि उस वक्त वार ऑन टेरर नहीं था। इसकी शुरुआत बाद में हुई थी, लिहाजा दूसरी खेप में यह शर्त लगाई गई थी। लेकिन यहां पर जो भारत ने सुबूत एफ-16 के इस्तेमाल को लेकर सौंपे हैं वह काफी पुख्ता हैं। दरअसल, जिस मिसाइल को भारत ने बतौर सुबूत दिखाया है वह एमराम मिसाइल है, जो 80 के दशक के दौरान नहीं थी। उस वक्त एएम9एल मिसाइल पाकिस्तान के पास में थी। यह एक क्लोज कॉम्बेट मिसाइल थी। इसके बाद 9एक्स मिसाइल आई थी। उस वक्त एआईएम120 जिसको एमरॉम मिसाइल कहते हैं यह पहली खेप में पाकिस्तान को नहीं मिली थी। यह दूसरी खेप में पाकिस्तान को दी गई, जिस पर अमेरिका ने इसके इस्तेमाल पर शर्त लगाई थी।
कलपुर्जे की रोक सकता है सप्लाई
यहां पर आपको बता दें कि अमेरिका एफ-16 को अपग्रेड करने से अपने हाथ पहले ही अपने हाथ खींच लिए हैं। पाकिस्तान ने इनको तुर्की से अपग्रेड करवाया है। यहां ये बात भी ध्यान रखने वाली है इस विमान में लगने वाले शस्त्रों से लेकर इसका राडार सिस्टम तक सभी कुछ अमेरिकी है। यह सब कुछ वहां पर ही बनता है। पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की सूरत में अमेरिका इससे जुड़ी हर चीज की सप्लाई को रोक सकता है। इसका असर होगा कि पाकिस्तान की पूरी एफ-16 की स्क्वाड्रन जमीन पर आ जाएगी। यह पाकिस्तान के लिए काफी बुरा हो सकता है।