छतरपुर के पान किसानों ने अपना फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान को पान न भेजे जाने का संकल्प ले लिया है
मध्य प्रदेश में पान का गढ़ माने जाने वाले छतरपुर जिले के पान किसानों ने भी ऐतिहासिक और देशभक्ति से ओत-प्रोत फैसला लिया है
छतरपुर : पुलवामा हमले के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा फैला हुआ है. एक ओर जहां पड़ोसी देश से सारे रिश्ते और व्यापार बंद करने की बातें हो रही हैं वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में पान का गढ़ माने जाने वाले छतरपुर जिले के पान किसानों ने भी ऐतिहासिक और देशभक्ति से ओत-प्रोत फैसला लिया है.
छतरपुर के पान किसानों ने अपना फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान को पान न भेजे जाने का संकल्प ले लिया है. यह कोई मामूली बात इसलिए नहीं है क्योंकि छतरपुर जिले के गढ़ीमलहरा, महाराजपुर, पिपट, पनागर में पान की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. यह पान मेरठ एवं सहारनपुर के माध्यम से पाकिस्तान सप्लाई किया जाता है. इसीलिए पान किसानों का कहना है कि अब पान को न तो मेरठ और न ही सहारनपुर भेजा जाएगा ताकि पाकिस्तान का पान के माध्यम से कनेक्शन कट सके.
इस फैसले के बाद पान किसानों के नुकसान पर नजर डाली जाए तो सप्ताह में तीन दिन 45 से 50 बंडल पान के जाते हैं. जिसमें एक बंडल की कीमत 30 हजार रुपये हैं तो ऐसे में इन पान किसानों का अनुमानित 13 से 15 लाख रुपये का नुकसान होगा. मगर इन पान किसानों को नफा-नुकसान की कोई चिंता नहीं है. पान किसान संघ से जुड़े किसानों का यह भी कहना है कि हमारी सरकार जब पानी न देने जैसा बड़ा फैसला ले सकती है तो हम अपने भारत देश की खातिर इतना तो कर ही सकते हैं.